हे प्रभु राम ! मैं तो जैसे एक बहुत जंक लगा लोहा हूँ. मुझसे लाख कोशिश करने पर साधन - भजन नियम से बनता नहीं. मेरे स्वामी , मेरे सर्वस्व ! अब आपको ही शक्तिशाली चुम्बक बन कर मुझको खीचना पड़ेगा. तभी कुछ बात बनेगी, नहीं तो ये जीवन यूँ ही चला जायेगा. अब मालिक गेंद आपके पाले में है. प्रभु. अब आप ही कुछ करियें. में आपको टकटकी लगाये देखता हूँ. उत्तर की अपेक्षा है. पर एक इशारा मात्र भी कर दोगे तो ये दास उछल पड़ेगा !
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