जय गुरुदेव जय माँ ललिता त्रिपुरसुन्दरी !
कभी-कभी कुंडली में कर्मों का, ग्रहों का खेल देखता हूँ, इन्टरनेट पर सेकड़ों ज्योतिष के वीडियो देखता हूँ तो दिमाग घूम जाता है, क्या उपाय करें क्या न करें। अतः श्री गुरुदेव तथा श्री माता ललिता अम्बा की कृपा से एक महा उपाय लिखने का प्रयास कर रहा हूँ, जो जीवन के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए है। आप पुरे जीवन को चलाने हेतु दिन के 16 घंटे देते हो, उसी जीवन को अच्छे से, सुखपूर्वक चलाने हेतु क्या 30 मिनट से लेकर 1 घंटा रोज नहीं से सकते हो क्या?
नीचे दिए गये क्रम से यथाशक्ति उपासना. आराधना करें। इसमें पंचदेवो की अराधना भी हो जाती है।
सर्वप्रथम श्री गणेश जो को ह्रदय से प्रणाम करें ( गाणपत्य उपासना) (11-21-108 मन्त्र या कोई स्तुति उपलब्ध समयानुसार)
फिर सद्गुरु भगवान का स्मरण करते हुए, श्री गुरु द्वारा प्रदान मंत्र या इष्ट मंत्र या इष्ट का गुरु आज्ञा अनुसार नाम लें।
1-श्री गायत्री मन्त्र ( सूर्योपासना) - माँ से सदबुद्धि की प्रार्थना करते हुए पवित्र गायत्री मन्त्र का जप करें। (11-21 या 108 बार)
2-श्री मृत्युंजय मन्त्र ( शिवोपासना) - पहला सुख निरोगी काया, बाकि सब पीछे आया। श्री मृत्युंजयी महाकाल भगवान शिव जी का स्मरण करते हुए अच्छे स्वास्थ्य,दीर्घायु जीवन, शांत-अध्यात्मिक-नीरोग मृत्यु के तरीके की प्रार्थना करें। (11-21 या 108 बार )
3- श्री महालक्ष्मी ( शक्तिउपासना) - फिर पवित्र अर्थ अर्थात धन की कामना करें जो पवित्र तरीके से कमाया गया हो। आप योग्यता अनुसार स्तुति या मन्त्र पढ़ सकतें हैं। (11-21-108 मन्त्र उपलब्ध समयानुसार या पीर जोई एक स्तुति )4- श्री हरि ( नारायणउपासना) - मन की शान्ति हेतु श्री हरि, श्री कृष्ण जी, श्री राम जी के शान्ताकार स्वरूप का ध्यान करें। ( द्वाद्शाक्षर मन्त्र का जप, राम नाम का जप, महा मन्त्र का कीर्तन आदि करें )
5- श्री हनुमान जी ( रुद्रोपासना) - असामाजिक तत्वों , उपरी तत्वों से सुरक्षा हेतु भाव, श्रद्धा व विश्वास सहित श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।
वैसे तो एक सनातन धर्मी हिन्दू को ये आराधना करनी चाहियें, परन्तु किसी परिस्थिति वश न हो पाए तो, अपने इष्ट की एक स्तुति-प्रार्थना को जीवन का आधार बना लें। दिन रात सुबह शाम सुख दुःख मन बेमन कुछ भी हो गायें, गुनगुनायें, रोम-रोम में बसा लें।
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