जय गुरुदेव जय माँ ललिता त्रिपुरसुन्दरी !
यह एक अद्भुत बात है कि श्री राम शरणं के अद्भुत एवम सरल स्वभाव संत श्री विश्वामित्र जी महाराज जी ने कहा है कि माँ मुझसे बाते करती हैं। और पापा रामदास जी भी जो "ॐ श्री राम जय राम जय जय राम" नाम की साधना करते थे ने भी माँ से वार्तालाप तथा प्रश्नोत्तरी के बारे में बताया है।
पर मेरी माँ यहीं नहीं रुकी, उन्होंने और भी अद्भुत बातें मेरे सामने लायीं। The Cosmic Mother website में The Autobiography of Yogi के लेखक, SRF फाउंडेशन के प्रेमावतार श्री योगानंद जी महाराज जो कि ज्ञानावतार श्रीयुक्तेश्वर जी के शिष्य थे, ने माँ का साक्षात्कार तथा ईश्वर की माँ के रूप में आराधना का वर्णन किया है। उन्होंने श्री रामकृष्ण परमहंस जी के शिष्य मास्टर महाशय ( श्री महेन्द्र नाथ गुप्ता) की कृपा से माँ को साक्षात अनुभव किया।
शायद माँ बच्चो के ज्यादा करीब होती है इसलिए उस परम तत्व की माँ के रूप में आराधना ज्यादा सुलभ है। ईश्वर पिता के रूप में भी प्रिय हैं। पर वे थोड़े से गंभीर और बाहरी तौर पर सख्त प्रतीत होते हैं। पर तत्त्वतः माँ और पिता एक ही हैं।
श्री रामकृष्ण परमहंस जी ने भी श्री केशव सेन जी से कहा था की केशव तुम्हारे बृह्म और मेरी माँ का झगड़ा थोड़ी न है, जिन्हें तुम ब्रह्म कहते हो, मैं उन्हें माँ कहता हूँ।
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