एक निराकार सेवा
एक ऐसी संस्था जिसका कोई नाम न हो, कोई पद न हो, कोई उपाधि न हो, कोई समिति न हो, कोई निज स्वार्थ व नाम की कामना न हो।
कोई चंदा न हो. कोई धन्धा न हो. यह संस्था अनंत ब्रहमांड के कोष व् सामग्री से ही चलेगी. जिसके एक स्वामी वो एक दिव्य सत्ता ही है जो सब धर्मो में एक ही है।
वो परात्पर परब्रहम परा शक्ति ही सूक्ष्म रूप से संस्था का संचालन करेंगे।
जो भी इस संस्था के उद्देश्य व् इस मार्गदर्शिका को पढ़ रहा है वो इस संस्था का कार्य प्रारंभ कर सकता है।
इस संस्था में बस सर्वजनहिताय सर्वजनसुखाय कार्य किया जाता हो।
कार्य करने वाले निगाह झुका कर सेवा भाव से कार्य करें. कार्य करने वालो को भी कोई विशेष नाम से नहीं पुकारा जायेगा. हालांकि कार्य में जुड़ने वाले आत्मा अन्य संस्थाओं में अपना पूर्ववत कार्य करते रहेंगे।
इस संस्था पर आरोप प्रत्यारोप का प्रश्न ही नहीं होगा. पद प्रतिष्ठा को लेकर कोई वैमनस्य नहीं हो सकता. हर वर्ग के लोग , हर राजनीतिक समूह के लोग शामिल हो सकते हैं
कोई भी किसी को लाकर मन में डाह नहीं रखेगा।
जिस दिन जिस क्षेत्र में इस संस्था का नाम या पद रख दिया गया, उस क्षेत्र में उस दिन इस संस्था को ख़तम माना जाएगा. नयी संस्था अपने नाम पर स्वतंत्र रूप से कार्यरत मानी जाएगी।
नाम, रूप, पद, यश से यह संस्था कोसो दूर रहेगी। मंचो व् अलग दिखने की किसी भी प्रयास को बढ़ावा नहीं दिया जाए बल्कि आने वाली आत्माओं के बीच घुल मिल कर कार्य आयोजित किये जायेंगे।
इस संस्था को कार्य कहीं भी, कोई भी , कैसे भी प्रारंभ कर सकता है। यह कार्य किन्ही २ या अधिक लोगो, मित्रों की आपसी चर्चा से शुरू किया जा सकता हैं और किसी भी स्तर तक किया जा सकता हैं। कार्य का स्तर उसी स्तर तक रखा जायेगा जहाँ तक जटिलता व्यवस्थित की जा सके। कहीं भी मतभेद होने पर बात बिगड़ने न दें और उस वर्तमान काम को पूरा कर चाहें तो भविष्य में अलग-अलग कार्य करें। परन्तु इस सेवा कार्य को रुकने न दें।
होने वालो कार्यो का प्रचार आपसी बातचीत, whatsapp तथा facebook messages द्वारा किया जाएगा।
उदहारण के लिए कुछ कार्य निम्न प्रकार हो सकते हैं।
अध्यात्मिक :-
(1) बच्चो के बुद्धि विद्या लाभ हेतु सामूहिक सरस्वती व गणेश मंत्र जाप के आयोजन ताकि क्षेत्र के विद्यार्थियों के मेधा शक्ति उच्च होवे।
(2) अपने क्षेत्र में एक ध्यान या जप कक्ष बनायें। जहाँ लोग कभी भी आकर मानसिक जाप कर सकतें हों। कोई बाध्यता नहीं हो, आप अपने मत-परम्परा के अनुसार गुरु मन्त्र, माँ गायत्री, श्री राम, शिव जी के कोई भी मन्त्र जाप कर सकतें हैं। उद्देश्य होगा आपके नगर में शान्ति, खुशहाली, लोगो का अच्छा स्वास्थ्य तथा आर्थिक स्वलम्बता। आप केवल अपनी जप माला साथ लायें, आसन व बैठने की व्यवस्था रहेगी। इस अनुष्ठान की सुविधा की दृष्टि से कोई बाह्य आचार या विधि इत्यादि की आवश्यकता नहीं होगी। ज्यादा जानकारी के लिए लेख पढ़ें।
(3) दिव्य धुनें छांट छांट कर साइलेंट मैडिटेशन कैंप लगाये जायेंगे। केवल वहीं दिव्य धुनें जो अन्दर की आत्मा को बहार निकलने को व्यथित कर दें, तडपा दें।
(4) मृत्युंजय जाप के आयोजन स्वास्थ लाभ हेतु।
(5) किसी संत की vedio कथा,सत्संग इत्यादि का आयोजन किया जा सकता है।
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सामाजिक :-
(1) किसी के घर में आग इत्यादि का नुकसान होने पर घरों से सामान संग्रह कर मदद की जा सकती है।
(2) आपके पड़ोस में कोई बीमार हैं तो उसका इलाज़ करवा सकते हैं।
(3) किसी कमजोर व्यक्ति का बड़ा परिवार हैं और आपकी नजर में उनका गुजारा जैसे – तैसे चल रहा है तो उनके लिए कुछ नया काम जैसे सिलाई कढ़ाई सिखवाना, उरद दाल पापड़ बनाना, किसी के यहाँ काम पर लगवा देना, tuition आदि प्रारंभ करवा देना।
(4) अपने लोकल क्षेत्र में स्वच्छता अभियान।
(5) २ या ४ या ज्यादा लोग मिलकर निःशक्त जनों में कम्बल, पुराने वस्त्र, या अन्न का वितरण कर सकते हैं।
(6) गौ सेवा – अपने क्षेत्र की गौ शाला से जुड़े। पढ़े लेख गौ-सेवा और आपका योगदान ।
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