Sunday, February 5, 2017

|| भाव सुमन -०० - माँ के चरणों ओर ||



माँ ! वो माँ जो कभी भी जुदा नहीं होती । मैं उस माँ का अनुसरण कर रहा हूँ , जैसे एक छोटा बालक घुटनों के बल माँ के पीछे पीछे चलता है, पहले पहले तो माँ काम पर ध्यान देती है फिर जब देखती है यह तो मान ही नहीं रहा है तो माँ गोद में ले लेती है। ऐसे पवित्र भाव के साथ माँ के चरण कमलों का अनुसरण करते रहों । कोशिश करों की माँ से लाभ हानि से परे का नाता जोड़ो। श्री वामाखेपा जो माँ के तारा रूप की भक्ति करते थे वो अपनी माँ को छोटी माँ तथा माँ तारा को बड़ी माँ कहते थे। ऐसा पवित्र भाव तथा सम्बन्ध होंना चाहियें। 

कलयुग में मन, ह्रदय, अन्न आदि की शुद्धि नहीं हैं । अतः माँ के चरण कमलों की छवि रखो, पूजो, ह्रदय में बसाओ, ध्यान करों। जब छोटा बच्चा घुटनों के बल चलता है तो उसकी दृष्टि माँ के चरणों पर होती है। अतः अपने आप को शिशु की भांति माँ के चरण कमलो पर रख दो, माँ अपने आप तुम्हे गोद में उठा लेंगी।

माँ के चरणों की उपासना रामचरितमानस जी की निम्न चौपाईयों से भाव पूर्वक गाते हुए करें 


देबि पूजि पद कमल तुम्हारे ।  सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।। 

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