Saturday, August 4, 2018

Lord Hari - My Maternal Uncle :-)




श्री माता पद्मनाभ सहोदरी हुईं तो श्री भगवान हमारे मामा जी हुए। यह पावन सम्बन्ध हमारा वैष्णव परम्परा से हुआ।

ऐसा नहीं है कि अच्छे मामा नहीं होते परंतु  सामान्यतः कंस मामा तथा शकुनि मामा की कथाएँ सुनते सुनते हमारी सांसारिक मामाओं के प्रति कुछ अच्छी भावना नहीं बन पाती।

इसीलिए माँ ललिता अम्बा की कृपा से एक और समाधान प्राप्त हुआ, श्री हरि, श्री राम जी, श्री कृष्ण जी और श्री जगन्नाथ भगवान जी हमारे मामा हुए, बढ़िया बात हुई ना भाई!

अब श्री भगवान भी अपने अनुभव से बहुत अच्छे से जानते हैं सांसारिक मामाओं के बारे में। इसलिए वे दिव्य स्वरूप होने से स्वयं भी बहुत अच्छे मामा जी की जिम्मेदारी निभायेंगे, ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है।

दूसरा मेरी माँ की अनन्य भक्ति भी मामा जी की कथा प्रसंग सुनने से भ्रमित नहीं होगी। आखिर हम एक परिवार जो हुए ना।

जय माँ ललिता त्रिपुरा सुन्दरी !
जय श्री गुरुदेव भगवान !
जय श्री हरि ! 





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