Jai Maa Lalita Tripura Sundari
Jai Gurudev
श्री ललिता सहस्त्रनाम, माँ की एक सहस्त्र आँखें हैं, जिनसे वो हर पल अपने शिशु पर निगाह रख रहीं हैं।
श्री ललिता सहस्त्रनाम माँ के एक सहस्त्र हाथ हैं, जिनसे माँ हर पल अपने शिशु का पालन पोषण कर रहीं हैं।
माँ के यह पावन सहस्त्रनाम सहस्त्रों रोम-रोम हैं, एक एक रक्त कण, एक एक कोशिका हैं।
माँ के सहस्त्रों नाम आती जाती स्वासें हैं।
माँ के सहस्त्रनाम सहस्त्रचण्डी यज्ञ हैं।
माँ के सहस्त्रनाम सहस्त्रार चक्र के सहस्त्र पंखुड़ियां हैं।
माँ के यह नाम आराधना, प्रार्थना, साधना हैं।
माँ के सहस्त्रनाम सहस्त्रार चक्र के सहस्त्र पंखुड़ियां हैं।
माँ के यह नाम आराधना, प्रार्थना, साधना हैं।
माँ के नाम मेरे लिये श्री रामायण व श्री भागवत जी हैं।
श्री ललिता सहस्त्रनाम शिशु के लिये पालने के समान हैं, जिससे माँ ललिताम्बा अपने शिशु को झूला रहीं हैं। शिशु आनन्द में मुस्कुराता है।
श्री ललिता सहस्त्रनाम माँ की लोरी है।
मेरा मन चंचल है, कभी एक पर नहीं टिकता, इसीलिये माँ ने अपने बालक को अपना सहस्त्रनाम स्वरूप दे दिया है, जिसे मैं आनंद से गाता हूँ। वो हीं एक हैं और अनेक भी।
श्री ललिता सहस्त्रनाम संतप्त व उद्दिग्न शिशु के सिर पर माँ का हाथ है, पीठ पर माँ के हाथों का थपथपाना है।
श्री ललिता सहस्त्रनाम अमर गीत, ज्ञान गीत व प्रकाश गीत है, जो मृत्यु से अमरता की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर व अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाता है।
प्रसिद्ध संत माता निर्मला ने घोषणा की है कि "The Book Of Enlightenment" श्री ललिता सहस्त्रनाम ही है।
प्रसिद्ध संत माता निर्मला ने घोषणा की है कि "The Book Of Enlightenment" श्री ललिता सहस्त्रनाम ही है।
श्री ललिता सहस्त्रनाम क्या नहीं है।
जय गुरुदेव।
जय माँ ललिता त्रिपुरा सुन्दरी।
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