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जगत जननी माँ अम्बा |
मातृ भाव की उपासना
श्री रामचरित मानस जी से
जय गज बदन षडानन माता ।
जगत जननि दामिनि दुति गाता ।।
हे ! श्री गणेश जी और श्री कार्तिकेय जी की माता की जय हो। वो जो सारे जगत की जननी हैं और जिनकी देह की कान्ति चमकती हुई विघुत के समान हैं, वो माँ हम पर कृपा करें।
वो माँ हमें भी शिशु के रूप में स्वीकार कर अपनी ममता और करूणा की छावं में ले लें।
एकान्त में ध्यान में बैठें और माँ की ऊपर दी गयी मातृ स्वरूप छवि का मन ही मन चिंतन करते हुए स्वयं को छोटे शिशु के रूप में माँ के सम्मुख जाने। आर्त भाव को धारण करते हुए "माँ माँ ओ माँ ओ माँ उमा उमा" कहते हुए पुकारे। उपर दी गयी चौपाई को खुलकर भावपूर्वक गायें। स्वर,धुन आदि की चिंता न करें ,बालक को माँ को पुकारने में कैसी शर्त, कैसा नियम !
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