माँ ! मैं आपकी पूजा का विधि विधान नहीं जानता।
कोई कर्मकाण्ड से भी मैं परिचित नहीं हूँ। कलि के मलों से दूषित मुझमें कोई पवित्रता व पात्रता भी नहीं है। स्वभाव से ही जिद्दी व उद्दंड हूँ। सभी के सिरों का दर्द हूँ माँ।
कोई कर्मकाण्ड से भी मैं परिचित नहीं हूँ। कलि के मलों से दूषित मुझमें कोई पवित्रता व पात्रता भी नहीं है। स्वभाव से ही जिद्दी व उद्दंड हूँ। सभी के सिरों का दर्द हूँ माँ।
माँ! मेरा रो रो कर तुझे पुकारना ही मेरा आवाहन है। उन अश्रुओं में भीगना ही मेरी पवित्रता है।
माँ ! मेरे रोम रोम की , एक एक कोशिका की तू जननी है, अतः तू मेरे कण कण में बसी है, बस यही भाव मेरा न्यास है।
माँ ! जो तूने आ कर मेरी कलाई पकड़ ली है, वो ही मेरी रक्षा मौली है।
माँ ! जो तूने अपने शिशु के मस्तक पर स्पर्श किया है, वही तिलक है।
माँ ! जो तूने मुझें गोद में बैठा रखा है, वही मेरा आसन है।
माँ! अपने शिशु की रक्षा हेतु जो उग्र काली रूप धारण करती है, वही मेरा रक्षा कवच है।
ओ माँ ! ओ माँ ! उमा ! उमा ! कहते हुए जो क्रन्दन करता हूँ वही मंत्र जाप है।
माँ ! तू मुझे खिलाये बिना कहाँ खाती है, मुझे पुष्ट कर के ही तू पाती है, वही भोग है न माँ।
माँ ! जो तूने मुझे काँधे पर लगा लिया है मैंने नेत्र मूँद लिये हैं, वही तन्मयता है, जो तू मुझे लोरी सुना रही है वही अनहत नाद है, मैं जो बाह्य चेतना खोता हुआ निर्भय व निश्चिन्त हो कर सो गया हूँ, वही समाधि है।
माँ! विरह की अग्नि ही आरती की ज्योत है। यह देह ही आरता है, तेरे से जो में विभिन्न तोतली बातें बनाता हूँ, वो ही आरती है। हालाँकि माँ, मेरी बातों का कोई अर्थ या सार्थकता नहीं होती, फिर भी तू मेरा ही शिशु है ऐसा ध्यान रखते हुए प्रसन्न हो जाती है और मेरे सतत अश्रु जल ही उस आरती को ठंडा करते हैं।
माँ विसर्जन की तू बात मत कर माँ, मैं तुझसे कभी भी अलग हो ही नहीं सकता, तू मुझे छोड़ कर कभी जा ही नहीं सकती। हाँ, मैं कभी कभी खेल खेल में मुख फेर लेता हूँ तो भी तेरी निगाह एक पल को भी मुझसे हटती नहीं है। तू एक हाथ से जग को संभालती है, एक हाथ से मुझे !
माँ ! मैं दोनों हाथ से कान पकड़ता हूँ, कातर दृष्टि से तुझे ताकता हूँ, यही मेरी क्षमा प्रार्थना है।
माँ यह भाव भी तू ही है, क्योँकि तू ही भावना, बुद्धि, भक्ति, वाणी, अक्षरा तो तू ही है। मैं कुछ नहीं सब तू ही तू है, मैं तो बस तेरा शिशु .... बस मैं अब चुप हो जाता हूँ, बोलना शुरू करता हूँ तो बंद ही नहीं होता, माँ तेरे सिर में दर्द तो नही कर रहा न माँ !
No comments:
Post a Comment