एक इष्ट की आवश्यकता !

|| जय माँ ललिता त्रिपुरा सुन्दरी ||

||ॐ श्री सद्गुरुदेवेभ्यो नमः||


(१) देखिए घोर कलयुग है भागम भाग है hi-fi jobs व् life style है. बहुत पूजा पाठ किसी के बस की नहीं है. कहने पर कोई करता भी नहीं. ऐसे में एक अपने इष्ट भगवान की आश्रय अवश्य लेने चाहियें.


(२) भगवान् के एक स्वरूप को अपना इष्टदेव, आराध्य बना लें. जहाँ आपका दिल ठुकता हो अच्छा लगता हो . उनको चुन लें पर किसी भी स्वरुप की निंदा न करें – सम्मान करें. जैसे हम चाचा, ताऊ, मामा आदि का सम्मान करते हैं परन्तु माँ-बाप तो माँ –बाप ही होते हैं. ऐसे ही आपके अपने एक इष्ट भगवन तो होने ही चाहियें. फिर उनका एक नाम या मन्त्र चुन लें जो आपको अच्छा लगता हो, सरल हो , सहज . उस ही नाम या मंत्र को मन ही मन या बोल के खूब जप करें. चलते-फिरते , उठते-बैठते , खाते-पीते व् काम करते हुए जपते रहें. हर काम से पहले करें. सोते समय व् उठते समय करें.

(३) कृपया यह विशेष ध्यान रखें की भगवान् के किसी भी स्वरुप की आपस में भूल कर भी तुलना ना करें वरन दूसरों के इष्ट देव का भी सम्मान करें. वो एक दिव्य शक्ति ही माता-पिता-बन्धु-गुरु-प्रभु रूप से विभिन्न स्वरूपों में हमारे लिए उपलब्ध हैं.उन एक के स्वरूपों की तुलना एक विशेष कोटि का अपराध है जो आपकी अध्यात्मिक उन्नति को रोक देता है, अहंकार कर देता हैं.अपने इष्ट देव की साधना व् स्मरण में लगे रहें. 

(४) इष्ट भगवान को अपना माने – की भगवान मेरे हैं और में भगवान् का हुँ. ऐसा अपनापन करने पर फिर जाप चालू होगा , सिमरन होगा , लगन लगेगी.

(५). अपने बच्चो की रक्षा हेतु उनका एक इष्ट के प्रति रुझान पैदा करें – इससे आपको अपने बच्चो की अनावश्यक चिंता से आराम मिलेगा. भविष्य में उनका मार्गदर्शन एक अज्ञात शक्ति अपने आप करती रहेगी. बच्चे पढने हेतु, jobs हेतु बाहर जाते हैं और पीछे माता पिता को कहीं न कहीं चिंता मन में बनी रहती हे, ऐसे में बच्चे के इष्ट संभाल करते हैं.

(६). अगर बिलकुल भी समझ में नहीं आ रहा की किसे इष्ट बनायें तो किसी अच्छे ज्योतिष या फिर संत पुरुष से चर्चा करें. अगर वो भी न हो सकें तो श्री राम नाम का आसरा ले लें. यह एक ऐसा नाम हैं जो बोलने में तनिक भी बल नहीं लगता यहाँ तक की की बीमार व्यक्ति भी कराहते हुए राम राम राम राम कह सकता है.

(७) उदाहरण के लिए अगर भगवान श्री राम आपके इष्ट हैं तो आप चलते फिरते हर समय राम राम राम मन ही मन या हलके-हलके या जोर से कहते रहें. और 5 से 15 मिनट बिलकुल चुपचाप अकेले में शान्त हो कर राम राम जपते हुए प्रभु की शान्ताकारम मूर्ति , छवि , रूप , गुणों का ध्यान करिए. आपका मन हल्का हो जायेगा. tension व् stress में कमी आयेगी, और आप स्फूर्ति महसूस करेंगे.

(८). भगवान के सब रूप एक ही हैं. वे परम तत्व ही शिव, राम , कृष्ण और मां रूप से वो एक ही हैं. अपने इष्ट के प्रति भक्ति भाव बढ़ाने के लिए उनकी पुस्तके, कहानियां, TV serials, उनके भक्तो की कहानियां पढ़ते रहें. हम आपको इस website के माध्यम से भी सब उपलब्ध करवाने का प्रयास अवश्य करेंगे.

(९) धीरे धीरे इष्ट में बुद्धि स्थिर हो जाने पर आपके इष्ट आपका मार्गदर्शन करते रहेंगे. इष्ट की सुमिरन – यह एक ऐसा उपाय है जो आप छोडने का बहाना नहीं बना सकते और कभी भी कर सकते हैं.


||ॐ श्री सद्गुरुदेवेभ्यो नमः||